जब हम कुछ दिन बाद मिले थे .........
जब हम कुछ दिन बाद मिले थे
मेरी प्रतीक्षा में तुम रत थे
नयन तेरे कितने विह्वल थे
एक-दूजे को देख हमारे ,मन में कितने दीप जले थे
जब हम कुछ दिन बाद मिले थे
मै आया जब पास तुम्हारे
कम्पित तन-मन हुये हमारे
अपलक तक नयनों से मुझको ,तुमने कितने प्रश्न किये थे
जब हम कुछ दिन बाद मिले थे
क्षण भर का एकांत देख कर
वक्ष-स्थल से मेरे लग कर
तेरी उर धड़कन ने मुझस ,जीवन के प्रति-क्षण मागें थे
जब हम कुछ दिन बाद मिले थे
विक्रम
2 टिप्पणियां:
यह रचना मन को स्फूर्तिमय बना गई ।
अप्रतिम प्रेम से लवलेश रचना।
एक टिप्पणी भेजें